भारत सरकार ने 2019 में मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक की प्रथा से मुक्ति दिलाने के लिए सख्त कानून बनाया था। इस कानून के तहत किसी भी मुस्लिम पुरुष द्वारा किसी भी माध्यम से तीन तलाक देने पर रोक लगा दी गई थी। कानून में तीन वर्ष की कठोर सजा का प्रावधान किया गया है। इस कानून का मुस्लिम समाज ने स्वागत किया था और उम्मीद थी कि इसका मुस्लिम युवाओं पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा, जिससे तीन तलाक के मामलों में कमी आएगी। लेकिन आए दिन तीन तलाक से जुड़े मामले सामने आ रहे हैं, जिससे यह साफ होता है कि कुछ लोगों पर इसका असर नहीं हुआ है।
हाल ही में उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद के गौरीबाजार थाना क्षेत्र के अर्जुनडीहा गांव से एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां विदेश में रहने वाले कादिर अली ने अपनी पत्नी रुबीना खातून को मोबाइल पर तीन तलाक दे दिया। रुबीना खातून का विवाह 2015 में कादिर अली से हुआ था। कुछ समय बाद कादिर विदेश चले गए और वहीं से फोन पर ही अपनी पत्नी को तीन तलाक कह दिया।
जब कादिर अली हाल ही में विदेश से घर लौटे, तो उन्होंने अपनी पत्नी रुबीना को फिर से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। बीती रात, कादिर अली ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर रुबीना को बेरहमी से पीटा, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई। इतना ही नहीं, उन्होंने रुबीना को मारपीट के बाद घर से बाहर निकाल दिया।
अपने ऊपर हुए अत्याचार से त्रस्त होकर रुबीना ने पुलिस थाने में पहुंचकर कादिर अली के खिलाफ तहरीर दी है। उसने अपनी शिकायत में मांग की है कि उसके पति को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। रुबीना का कहना है कि तीन तलाक कानून बनने के बाद भी उसके पति ने इस कानून की धज्जियां उड़ाईं और उसे तीन तलाक देकर घर से निकाल दिया।
यह मामला दिखाता है कि मुस्लिम समाज के कुछ हिस्सों में अभी भी तीन तलाक कानून का डर नहीं है। हालांकि सरकार ने सख्त कानून बना दिया है, लेकिन समाज के एक वर्ग में इस कानून का पालन नहीं हो रहा है। इस तरह के मामलों के सामने आने से यह स्पष्ट हो जाता है कि तीन तलाक कानून के बावजूद भी कुछ लोग इसे अनदेखा कर रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि कुरान शरीफ में तीन तलाक का कोई उल्लेख नहीं है। इस्लाम में तलाक देने के कई नियम हैं, जिनमें से एक तलाक-ए-बिद्दत है, जिसे आम बोलचाल में तीन तलाक कहा जाता है। तीन तलाक की इस प्रक्रिया को कई इस्लामी विद्वानों ने भी अस्वीकार किया है और इसे इस्लामिक शिक्षाओं के खिलाफ माना है।
भारत में तीन तलाक पर बने कानून का मुख्य उद्देश्य मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाना और उन्हें इस तरह की प्रताड़ना से बचाना है। सरकार ने इस कानून के तहत महिलाओं को सुरक्षा देने के लिए कठोर दंड का प्रावधान किया है, लेकिन इस तरह के मामले यह दर्शाते हैं कि लोगों में अभी भी इस कानून का व्यापक डर नहीं है।
रुबीना खातून की शिकायत के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है। रुबीना का कहना है कि वह न्याय की उम्मीद कर रही है और चाहती है कि उसके पति और उसके परिवार के सदस्यों को इस कृत्य के लिए कड़ी सजा मिले।
इस घटना ने एक बार फिर तीन तलाक कानून के प्रभाव और इसके पालन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह देखना बाकी है कि रुबीना खातून को न्याय मिल पाता है या नहीं और ऐसे मामलों को रोकने के लिए सरकार और समाज क्या कदम उठाते हैं।
तीन तलाक कानून का उद्देश्य मुस्लिम महिलाओं को उत्पीड़न से बचाना था, लेकिन इस मामले से यह जाहिर होता है कि कुछ जगहों पर अभी भी इस कानून का पूरा प्रभाव नहीं पड़ पाया है।