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Uttar Pradesh news: उत्तर प्रदेश में सिंचाई की सरकारी योजनाएं नाकाम, किसान पंपसेट के सहारे

उत्तर प्रदेश में किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। सरकारी योजनाओं का लाभ किसानों तक पूरी तरह से नहीं पहुंच पा रहा है, और उन्हें अपनी फसलों की सिंचाई के लिए पंपसेट जैसे निजी साधनों पर निर्भर रहना पड़ता है। यह स्थिति न केवल किसानों के लिए आर्थिक बोझ बन रही है, बल्कि उनके लिए खेती-किसानी को और कठिन बना रही है।

सरकारी योजनाएं और उनकी खामियां

उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों को सिंचाई की बेहतर सुविधा देने के लिए कई योजनाएं लागू की हैं, जैसे कि मुफ्त बिजली कनेक्शन, नहरों की सफाई और जल प्रबंधन के लिए विशेष अभियान। लेकिन इन योजनाओं का क्रियान्वयन सही तरीके से नहीं हो पा रहा है। नहरों में पानी का अभाव, ट्यूबवेल की खराब स्थिति और बिजली आपूर्ति में अनियमितता जैसे मुद्दे किसानों के लिए समस्या बने हुए हैं।

पंपसेट बना सहारा

सरकारी सुविधाओं की नाकामी के चलते किसान मजबूरी में डीजल या बिजली से चलने वाले पंपसेट का उपयोग कर रहे हैं। पंपसेट के जरिए पानी तो खेत तक पहुंचता है, लेकिन यह प्रक्रिया काफी महंगी है। डीजल और बिजली की बढ़ती कीमतें किसानों पर अतिरिक्त आर्थिक दबाव डाल रही हैं। कई किसान इन खर्चों को वहन नहीं कर पा रहे हैं, जिससे उनकी फसल उत्पादन पर भी असर पड़ रहा है।

नहरों की बदहाल स्थिति

उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में कई नहरें या तो सूखी पड़ी हैं या उनकी मरम्मत नहीं की गई है। सरकार द्वारा नहरों की सफाई और मरम्मत के दावे केवल कागजों तक सीमित हैं। नहरों में पानी की कमी के कारण कई किसान नहरों पर निर्भर नहीं रह सकते, जिससे वे निजी साधनों का उपयोग करने के लिए मजबूर हो जाते हैं।

बिजली आपूर्ति की समस्या

सिंचाई के लिए बिजली की निर्बाध आपूर्ति बेहद आवश्यक है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की कटौती आम बात है। किसान जब सिंचाई के लिए ट्यूबवेल का उपयोग करना चाहते हैं, तो उन्हें बिजली की कमी का सामना करना पड़ता है। इस समस्या के कारण किसान या तो डीजल पंपसेट का उपयोग करते हैं या फिर बारिश पर निर्भर रहते हैं, जो उनके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।

किसानों की मांग

किसान सरकार से सिंचाई सुविधाओं को बेहतर बनाने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि नहरों में नियमित पानी की आपूर्ति हो, बिजली की स्थिति सुधारी जाए और पंपसेट के लिए डीजल की कीमतों में रियायत दी जाए। इसके अलावा, सिंचाई के लिए नई तकनीकों को बढ़ावा देने और इन्हें किसानों तक सुलभ बनाने की जरूरत है।

समाधान की ओर कदम

सरकार को चाहिए कि वह किसानों की समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए नहरों और ट्यूबवेल की स्थिति में सुधार करे। सिंचाई के लिए सौर ऊर्जा आधारित पंपसेट को बढ़ावा दिया जाए, जिससे किसानों का खर्च कम हो सके। साथ ही, सिंचाई योजनाओं का क्रियान्वयन पारदर्शी और प्रभावी तरीके से किया जाए।

उत्तर प्रदेश में किसानों की सिंचाई से जुड़ी समस्याएं उनकी मेहनत को प्रभावित कर रही हैं। खेती-किसानी देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, और इसे मजबूत बनाने के लिए सरकार को प्राथमिकता से कदम उठाने होंगे। जब तक सिंचाई की समस्याओं का समाधान नहीं होगा, तब तक किसानों की स्थिति में सुधार की उम्मीद नहीं की जा सकती। सरकारी योजनाओं का सही क्रियान्वयन और पंपसेट जैसे साधनों के लिए रियायतें ही किसानों की समस्याओं का स्थायी समाधान हो सकती हैं।

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