Income Tax: 15 जून से पहले ITR फाइल करने वाले ध्यान दें: AIS से मेल नहीं खाने पर आ सकता है नोटिस

डायरेक्ट टैक्स एक्सपर्ट CA बलवंत जैन के अनुसार, अगर आपने 15 जून से पहले इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल किया है, तो आपको नोटिस आने की संभावना हो सकती है। यह नोटिस तब आता है जब आपके फाइल किए गए रिटर्न और 15 जून के बाद डिपार्टमेंट द्वारा जारी एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) के बीच कोई विसंगति पाई जाती है। इसलिए, नोटिस आने से बचने के लिए बेहतर है कि आप थोड़ा इंतजार कर लें।

कैसे करें तैयारी?

जैन का कहना है कि पहले आप अपने सभी डॉक्यूमेंट इकट्ठा कर लें। AIS में आपके द्वारा किए गए तमाम तरह के फाइनैंशल ट्रांजेक्शन की डिटेल्स को आपके डॉक्यूमेंट के साथ क्रॉसचेक करें। इससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि कोई गलती न हो और नोटिस से बचा जा सके।

स्पेसिफाइड फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन का ध्यान रखें

CA राजेश व्यास के अनुसार, इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते वक्त यह ध्यान रखना चाहिए कि आपकी स्पेसिफाइड फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन की डिटेल्स सही हों। अगर आपको इन डिटेल्स की याद नहीं है, तो धैर्य रखें। डिपार्टमेंट खुद ही आपकी सारी डिटेल्स AIS में जारी कर देगा। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि आपकी कैलकुलेशन और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की कैलकुलेशन में कोई अंतर न हो।

AIS में नई विशेषताएं

आयकर विभाग ने सोमवार को बताया कि उसने एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) में कुछ नई विशेषताएं जोड़ी हैं। इसके जरिये टैक्सपेयर्स सूचना के कन्फर्म होने की प्रक्रिया की स्थिति को देख सकेंगे। AIS कई सूचना सोर्स से प्राप्त फाइनेंशियल डेटा के आधार पर तैयार किया जाता है, जिससे टैक्सपेयर्स के बड़ी संख्या में फाइनेंशियल लेनदेन का विवरण मिलता है, जिनका टैक्स संबंधी प्रभाव हो सकता है।

टैक्सपेयर्स को मिलती है प्रतिक्रिया देने की सुविधा

टैक्सपेयर्स को AIS में दिखने वाली हरेक लेनदेन पर प्रतिक्रिया देने की सुविधा दी गई है। अगर किसी लेनदेन में गलत रिपोर्टिंग होती है, तो उसे ऑटोमैटिक तरीके से पुष्टि के लिए सोर्स के पास भेजा जाता है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने एक बयान में कहा कि इस नई व्यवस्था से करदाताओं में पारदर्शिता बढ़ने की उम्मीद है।

यदि आप 15 जून से पहले ITR फाइल करने की योजना बना रहे हैं, तो बेहतर है कि आप अपने फाइनेंशियल डॉक्यूमेंट और AIS के डेटा को अच्छी तरह से मिलान कर लें। इससे आप किसी भी संभावित नोटिस से बच सकते हैं और टैक्स फाइलिंग प्रक्रिया को सुचारू बना सकते हैं। इसके अलावा, AIS में नई विशेषताएं और पारदर्शिता बढ़ाने के उपाय टैक्सपेयर्स के लिए लाभदायक सिद्ध होंगे।

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