इस किस्म की बकरी 42 किलो वजन के साथ देती है गजब का दूध, लाखो रुपए होता है महीने की कमाई

संगमनेरी बकरी पालन: दूध और मांस दोनों के लिए उच्च मांग

परिचय

संगमनेरी बकरी महाराष्ट्र के पुणे, नाशिक, सोलापुर और धुले जिलों में पाई जाती है और अब अन्य राज्यों में भी इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है। यह नस्ल अपने उत्कृष्ट दूध और मांस उत्पादन के लिए जानी जाती है।

नस्ल की विशेषताएं

संगमनेरी बकरियां आमतौर पर सफेद रंग की होती हैं, जिन पर विभिन्न रंगों के धब्बे होते हैं। उनके बाल छोटे और सीधे होते हैं, और कान मध्यम आकार के और लटकते हुए होते हैं। इनका वजन 25 से 60 किलोग्राम के बीच होता है। यह बकरियां 13-14 महीनों की उम्र में प्रजनन शुरू करती हैं और अक्सर जुड़वां बच्चों को जन्म देती हैं।

दूध उत्पादन

संगमनेरी बकरियां प्रतिदिन 1-2 लीटर दूध देती हैं। उनके दूध में उच्च पोषण मूल्य होता है, जिससे यह स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। यह दूध विशेष रूप से बच्चों और बुजुर्गों के लिए उपयुक्त माना जाता है।

मांस उत्पादन

संगमनेरी बकरियों का मांस उच्च गुणवत्ता वाला होता है और इसे कई तरह के व्यंजनों में उपयोग किया जाता है। इन बकरियों का मांस बाजार में उच्च कीमत पर बिकता है, जो किसानों के लिए आर्थिक दृष्टि से लाभदायक है।

पालन और देखभाल

संगमनेरी बकरियों को पालना आसान है और वे विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में जीवित रह सकती हैं। इन्हें संतुलित आहार और साफ-सफाई की आवश्यकता होती है। इनकी देखभाल में प्रमुख ध्यान देना चाहिए:

  • आहार: संतुलित आहार जिसमें हरा चारा, सूखा चारा, और खनिज मिश्रण शामिल हों।
  • स्वास्थ्य देखभाल: नियमित टीकाकरण और स्वास्थ्य जांच।
  • आवास: साफ और सूखा स्थान, जहां पर्याप्त वेंटिलेशन हो।

आर्थिक लाभ

संगमनेरी बकरियों की उच्च मांग के कारण किसानों को अच्छी आय प्राप्त होती है। एक बकरी की कीमत ₹275 से ₹350 प्रति किलोग्राम तक होती है। इसके अतिरिक्त, दूध उत्पादन से भी किसानों को नियमित आय मिलती है।

संगमनेरी बकरी पालन एक लाभकारी व्यवसाय है, जो किसानों को आर्थिक स्थिरता प्रदान कर सकता है। दूध और मांस दोनों के लिए इनकी उच्च मांग के कारण यह व्यवसाय तेजी से बढ़ रहा है। उचित देखभाल और प्रबंधन से संगमनेरी बकरियों से अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

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