देवरिया के राजकीय पॉलिटेक्निक के छात्रों ने तकनीकी नवाचार की दुनिया में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (एनएसआईसी), भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय के हैंडहोल्ड सपोर्ट और मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) प्रत्यूष पांडेय के मार्गदर्शन में राजकीय पॉलिटेक्निक के पूर्व और वर्तमान छात्रों ने 10 किलोग्राम पेलोड क्षमता वाले ड्रोन “वायुपुत्र” का सफल परीक्षण किया। यह परीक्षण विकास भवन की पार्किंग में किया गया, जिसे अधिकारियों और जनसमूह ने सराहा।
कृषि के लिए वरदान साबित होगा “वायुपुत्र”
“वायुपुत्र” ड्रोन का मुख्य उद्देश्य कृषि कार्यों में सहायता प्रदान करना है। इसका उपयोग विशेष रूप से फसलों पर दवा, कीटनाशक और बूस्टर के छिड़काव के लिए किया जाएगा। गन्ने की खेती और बागवानी के क्षेत्र में यह ड्रोन बेहद उपयोगी साबित हो सकता है। इसके निर्माण की लागत लगभग 3.5 लाख रुपये है, जो कि इस श्रेणी के अन्य व्यावसायिक ड्रोनों की तुलना में एक तिहाई है। इससे किसानों को किफायती और उन्नत तकनीक का लाभ मिलेगा।
व्यावसायिक उपयोग की ओर कदम
राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम, देवरिया के केंद्र प्रमुख रोहित सिंह और हिमांशु ने बताया कि इस ड्रोन के निर्माण के लिए जल्द ही उद्यम पंजीकरण कराया जाएगा। पंजीकरण के बाद, यह इकाई व्यावसायिक रूप से ड्रोन निर्माण, मरम्मत, सिंचाई और निगरानी जैसे कार्य कर सकेगी। यह प्रयास स्थानीय उद्यमिता को बढ़ावा देगा और युवाओं को आत्मनिर्भर बनने का अवसर प्रदान करेगा।
तकनीकी विशेषज्ञों का योगदान
इस ड्रोन के निर्माण में राजकीय पॉलिटेक्निक के प्राचार्य डीके गौतम, इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग की विभागाध्यक्ष कृति अस्थाना, व्याख्याता नरेंद्र मोहन मिश्रा और सुधीर सिंह ने अहम तकनीकी सहयोग प्रदान किया। उन्होंने भरोसा दिलाया कि इस ड्रोन के सुधार और व्यावसायिक विस्तार में उनका सहयोग आगे भी जारी रहेगा।
नवाचार के लिए निवेशकों का समर्थन
कार्यक्रम के दौरान इंडियन इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के राष्ट्रीय सचिव ज्योति प्रकाश जायसवाल, उद्यमी अभिषेक (बिजलीवाला) और कमलेश मिश्रा (पॉलीहाउस) ने कहा कि शार्क टैंक की तर्ज पर स्थानीय उद्यमी इस नवप्रवर्तित उद्योग में निवेश करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने छात्रों की इस उपलब्धि की सराहना की और इसे क्षेत्र की आर्थिक प्रगति के लिए एक मील का पत्थर बताया।
अधिकारियों का आश्वासन
इस अवसर पर जिला विकास प्रबंधक (नाबार्ड) सूरज शुक्ला, जिला विकास अधिकारी रविशंकर राय, डीडीएम (एनआरएलएम) कुमार गौरव, गन्ना विकास विभाग और इफ्को के अन्य अधिकारियों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। उन्होंने छात्रों को अपने विभागों से हर संभव सहयोग प्रदान करने का आश्वासन दिया।
छात्रों की मेहनत को मिली सराहना
इस परियोजना में शामिल छात्रों—ओंकार, चंद्रभूषण, हिमांशु, प्रशांत, आदर्श और अंकिता—ने अपनी मेहनत और लगन से इस ड्रोन का निर्माण किया। कार्यक्रम के अंत में उन्होंने मुख्य विकास अधिकारी और अन्य अधिकारियों का आभार व्यक्त किया। छात्रों ने प्रशासन के त्वरित सहयोग और समर्थन की सराहना की।
स्थानीय जनसमूह ने की तारीफ
ड्रोन परीक्षण के दौरान विकास भवन के कर्मचारियों और स्थानीय जनसमूह ने छात्रों के इस नवाचार की जमकर प्रशंसा की। लोगों का कहना है कि इस प्रकार के तकनीकी नवाचार न केवल क्षेत्र को आगे ले जाएंगे, बल्कि युवाओं को प्रेरित भी करेंगे।
“वायुपुत्र” ड्रोन न केवल तकनीकी कौशल का प्रदर्शन है, बल्कि यह देवरिया के युवाओं की नवाचार क्षमता का प्रमाण भी है। यह परियोजना कृषि क्षेत्र में क्रांति लाने के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।