मध्य प्रदेश रायसेन जिला एसडीएम नगर के प्रमुख स्कूलों से पहुंचे 10 हज़ार बच्चों को दिलाई हफ्ता में एक दिन ई-उपवास करने की शपथ।
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भारत में बढ़ते मोबाइल प्रकोप को देखते हुए हर कोई चिंतित है चाहे वह बच्चों के माता-पिता हो या सरकार उच्च अधिकारी क्योंकि हमारे लिए मोबाइल जितना उपयोगी साबित हो रहा है उतना नुकसानदायक भी साबित हो रहा है इंसान जब सो कर उठता है तो उसका पहले ध्यान उसके मोबाइल पर ही जाता है उसके बाद व्हाट्सएप फेसबुक इंस्टाग्राम जैसे तमाम सोशल साइट पर यह चेक करता है कि उसे कौन-कौन मैसेज किया है फिर वह यूट्यूब चैनल फेसबुक पर यह चेक करता है कि उसकी वीडियो को कितने लोगों ने देखा यह एक बड़ा बीमारी का निशानी हो गई है।
जिस वजह से युवाओं का मानसिक विकास नहीं हो पा रहा है और कई बीमारियों को जन्म दे रहा है यहां तक की युवा पीढ़ी की पढ़ाई भी अब ऑनलाइन हो रही है पढ़ने वाले 100 छात्रों में से 98 छात्र के पास मोबाइल अवश्य मिल जाएगा जिसका दुष्परिणाम भी है और कुछ अच्छाई भी है आईए जानते हैं एसडीएम ने क्यों दिलाई शपथ।
मोबाइल की बात की जाए तो मोबाइल आधुनिक युग में सबसे बड़ा गैजेट है जो इसके करीब रहने से ऐसा लगता है कि दुनिया हमारे साथ चल रही है जब चाहे जिसे चाहे हम बात कर सकते हैं कुछ भी देख सकते हैं ऑनलाइन खरीदारी कर सकते हैं मोबाइल एक बुखार की तरह बन गया है, मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के एसडीएम सौरभ मिश्रा के द्वारा 10 हजार स्टूडेंट को मोबाइल की अच्छाई और उसके प्रभाव के बारे में बताया गया कि हमारे जीवन पर कितना प्रभाव डाल रहा है।
आजकल के युग में मोबाइल सबसे ज्यादा बच्चे यूज करते हैं और युवा यूज करते हैं पढ़ाई करने की उम्र में मोबाइल में तमाम ऐसे एप्स हैं जिस पर घंटे युवा बिता देते हैं बच्चे मोबाइल पर गेम पूरे दिन गेम खेल रहे हैं जिस वजह से उनके मानसिक सोचने की क्षमता भी कम होती जा रही है और शारीरिक भी नुकसान हो रहा है ज्यादा मोबाइल यूज करने से इंसान पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है मोबाइल के स्क्रीन पर लगातार देखने से आंख खराब हो रही है मोबाइल को देखने से स्टूडेंट की पढ़ाई पर ध्यान नहीं जा रहा है जैसे तमाम समस्या बताया।
एसडीएम के द्वारा 10000 बच्चों को यह शपथ दिलाया गया कि वह सप्ताह में एक दिन मोबाइल फोन नहीं चलाएंगे एक दिन वह मोबाइल फोन न चलने का उपवास रखेंगे 10000 स्टूडेंट ने इसका शपथ लिया कि वह अब सप्ताह में एक दिन मोबाइल नहीं चलाएंगे साथी एसडीएम के द्वारा यह बताया गया कि मोबाइल हमारे जीवन का एक हिस्सा बन गया है और जितना अच्छा है उतना यह बुरा भी है इस मोबाइल को जरूरत के हिसाब से ही हमें यूज करनी चाहिए अन्यथा इसका यूज नहीं करना चाहिए।
आप मोबाइल चलाने को लेकर क्या सोचते हैं हमें व्हाट्सएप पर जरूर बताएं क्योंकि बढ़ाते मोबाइल कवरेज को देखकर ऐसा लग रहा है कि आने वाले समय में भारत के 99% युवा मोबाइल में ही लगे रहेंगे कई जगहों पर कंपनियों से मजदूरों को मोबाइल की वजह से निकाला जा रहा है क्योंकि मोबाइल पर ज्यादा समय बिताने की वजह से काम पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं|