बरेली से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक पाकिस्तानी महिला ने फर्जी दस्तावेजों का सहारा लेकर सरकारी नौकरी हासिल की और एक प्राइमरी स्कूल में असिस्टेंट टीचर के पद पर कार्यरत रही। इस खुलासे के बाद शिक्षा विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों में हड़कंप मच गया है। पुलिस ने महिला के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
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कैसे खुला मामला?
मामला तब प्रकाश में आया जब वेरिफिकेशन के दौरान महिला के दस्तावेजों की जांच में गड़बड़ी पाई गई। पुलिस और शिक्षा विभाग के मुताबिक, यह महिला 2015 से माधोपुर के सरकारी प्राइमरी स्कूल में टीचर के रूप में कार्यरत थी। हालांकि, जांच में यह पाया गया कि उसने नौकरी पाने के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया था।
पिछले साल, उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) की रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि महिला द्वारा पेश किए गए निवास प्रमाण पत्र और अन्य दस्तावेज फर्जी थे। रिपोर्ट के आधार पर महिला को तुरंत नौकरी से निलंबित कर दिया गया।
जांच में क्या सामने आया?
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मुकेश चंद्र मिश्रा ने बताया कि फतेहगंज पश्चिमी के खंड शिक्षा अधिकारी की शिकायत पर महिला के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। एफआईआर के अनुसार, वेरिफिकेशन प्रक्रिया के दौरान महिला के दस्तावेजों की प्रामाणिकता पर सवाल उठे थे। एसडीएम द्वारा की गई जांच में यह पाया गया कि महिला ने गलत जानकारी देकर निवास प्रमाण पत्र हासिल किया था, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया।
जाली दस्तावेजों से नौकरी
शिक्षा विभाग ने महिला से कई बार स्पष्टीकरण मांगा, लेकिन हर बार जांच में जाली दस्तावेजों के इस्तेमाल की पुष्टि हुई। महिला ने न केवल सरकारी नौकरी हासिल की बल्कि आठ साल तक बिना किसी परेशानी के इस पद पर काम करती रही।
निलंबन और बर्खास्तगी
एसडीएम की रिपोर्ट के बाद 3 अक्टूबर 2024 को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने महिला को निलंबित कर दिया। इसके बाद, शिक्षा विभाग द्वारा विस्तृत जांच की गई और महिला को उनकी नियुक्ति की तारीख से ही नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। इस कार्रवाई के बाद फतेहगंज पश्चिमी पुलिस स्टेशन में ब्लॉक शिक्षा अधिकारी द्वारा महिला के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया।
पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई
फतेहगंज पश्चिमी पुलिस ने मामला दर्ज कर महिला के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और फर्जी दस्तावेज पेश करने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। पुलिस अब इस बात की भी जांच कर रही है कि महिला ने जाली दस्तावेजों को तैयार करने में किन लोगों की मदद ली और क्या इसमें कोई अन्य व्यक्ति भी शामिल था।
शिक्षा विभाग पर सवाल
इस घटना के बाद शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। कई जानकारों का कहना है कि अगर वेरिफिकेशन प्रक्रिया पहले सही तरीके से की जाती तो इस तरह की घटना को टाला जा सकता था। आठ साल तक एक फर्जी दस्तावेजों वाली महिला का सरकारी टीचर के पद पर बने रहना, सिस्टम की खामियों को उजागर करता है।
समाज और बच्चों पर असर
इस तरह की घटनाएं न केवल प्रशासन के लिए शर्मनाक हैं, बल्कि इससे समाज और बच्चों पर भी गलत असर पड़ता है। जिस स्कूल में महिला पढ़ा रही थी, वहां के बच्चों और अभिभावकों का भी भरोसा टूट चुका है। लोगों का कहना है कि सरकारी विभागों को अपनी प्रक्रिया को और सख्त और पारदर्शी बनाना चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
निष्कर्ष
बरेली की इस घटना ने एक बार फिर फर्जी दस्तावेजों के सहारे सरकारी नौकरी पाने वाले लोगों की सच्चाई उजागर की है। यह मामला प्रशासन और शिक्षा विभाग के लिए सबक है कि वेरिफिकेशन प्रक्रिया को सख्त बनाया जाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। अब देखना यह है कि पुलिस और प्रशासन इस मामले में आगे क्या कदम उठाते हैं और दोषियों को कब तक सजा दिलाने में कामयाब होते हैं।