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Mushroom ki kheti: मशरूम की खेती कर किसान कमा रहे हैं चार गुना मुनाफा: जानें कैसे करें इसकी खेती

मशरूम की खेती आजकल किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प बनकर उभरी है। जहां पारंपरिक खेती में अधिक समय और संसाधनों की आवश्यकता होती है, वहीं मशरूम की खेती से कम समय और लागत में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है। कई किसान अब अपनी पारंपरिक खेती छोड़कर मशरूम की खेती की तरफ रुख कर रहे हैं और इसमें चार गुना तक मुनाफा कमा रहे हैं। आइए जानते हैं, कैसे की जा सकती है मशरूम की खेती और इसके फायदे क्या हैं।

मशरूम की खेती के लाभ

  1. कम समय में तैयार: पारंपरिक फसलों की तुलना में मशरूम की फसल बहुत कम समय में तैयार हो जाती है। कुछ प्रजातियाँ तो सिर्फ 15-20 दिनों में ही कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं।
  2. कम जमीन की आवश्यकता: मशरूम की खेती के लिए बहुत ज्यादा जमीन की आवश्यकता नहीं होती। इसे कम जगह में भी उगाया जा सकता है, जिससे छोटे किसान भी इसे आसानी से कर सकते हैं।
  3. उच्च पोषण: मशरूम में प्रोटीन, विटामिन, और खनिज तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो इसे स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद बनाते हैं। इसके चलते बाजार में इसकी मांग भी अधिक होती है।
  4. उच्च मुनाफा: पारंपरिक फसलों की तुलना में मशरूम की खेती से किसानों को ज्यादा मुनाफा होता है। सही तरीके से खेती करने पर किसान अपनी लागत से चार गुना तक मुनाफा कमा सकते हैं।

मशरूम की खेती कैसे करें

  1. प्रजाति का चयन: मशरूम की खेती के लिए सबसे पहले सही प्रजाति का चयन करना जरूरी है। भारत में मुख्य रूप से तीन प्रकार की मशरूम उगाई जाती हैं – बटन मशरूम, ऑयस्टर मशरूम, और पैडी स्ट्रॉ मशरूम। किसान अपने क्षेत्र की जलवायु और बाजार की मांग के अनुसार प्रजाति का चयन कर सकते हैं।
  1. मिट्टी और खाद: मशरूम की खेती के लिए मिट्टी की नहीं, बल्कि कम्पोस्ट की आवश्यकता होती है। कम्पोस्ट तैयार करने के लिए भूसा, चावल की भूसी, और गोबर खाद का उपयोग किया जाता है। कम्पोस्ट को अच्छी तरह से पकाना होता है ताकि उसमें से सभी प्रकार के कीट और जीवाणु नष्ट हो जाएं।
  2. बीज की बुआई: कम्पोस्ट तैयार होने के बाद उसमें मशरूम के बीज (स्पॉन) की बुआई की जाती है। बीज की बुआई के लिए कम्पोस्ट को पॉलीबैग, ट्रे, या बक्सों में भरकर उसमें बीज डाल दिए जाते हैं। इसके बाद इन बक्सों को अंधेरे और ठंडे स्थान पर रखा जाता है।
  3. देखभाल: बुआई के बाद 15-20 दिनों तक कम्पोस्ट को अंधेरे में रखा जाता है। इस दौरान तापमान और नमी का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। मशरूम के विकास के लिए 20-25 डिग्री सेल्सियस का तापमान और 80-90% नमी की आवश्यकता होती है।
  4. कटाई: बुआई के 15-20 दिनों बाद मशरूम की फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है। कटाई के समय मशरूम को सावधानीपूर्वक काटा जाता है ताकि कम्पोस्ट में किसी प्रकार का संक्रमण न हो। एक बार बुआई करने के बाद 2-3 बार कटाई की जा सकती है।

बाजार में मांग और मुनाफा

मशरूम की मांग बाजार में सालभर रहती है। यह न केवल घरेलू बाजार में बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी उच्च मांग में है। इसके स्वास्थ्यवर्धक गुणों के कारण इसका उपयोग सब्जियों, सूप, और अन्य खाद्य पदार्थों में किया जाता है। एक किलो मशरूम की कीमत बाजार में 150 से 200 रुपये तक होती है, जबकि इसकी उत्पादन लागत बहुत कम होती है। सही तरीके से खेती करने पर किसान 1 लाख रुपये की लागत में 4 लाख रुपये तक का मुनाफा कमा सकते हैं।

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