उत्तर प्रदेश में गुरुवार का दिन कई जिलों के लिए कहर बनकर आया। मौसम ने अचानक करवट ली और आसमान से आफत बरस पड़ी। करीब 50 जिलों में तेज आंधी-तूफान के साथ बारिश हुई, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। कई जिलों में ओलावृष्टि भी हुई, जिसने जहां लोगों को भीषण गर्मी से राहत दी, वहीं दूसरी ओर किसानों के लिए यह बारिश तबाही लेकर आई। बारिश और आंधी के कारण सैकड़ों बीघा खेतों में खड़ी गेहूं की फसल तबाह हो गई।

इस प्राकृतिक आपदा में सबसे दुखद पहलू रहा आकाशीय बिजली का कहर। अलग-अलग जिलों में बिजली गिरने से 22 लोगों की मौत हो गई। सबसे ज्यादा मौतें फतेहपुर और आजमगढ़ में हुईं, जहां तीन-तीन लोगों की जान गई। फिरोजाबाद, कानपुर देहात और सीतापुर में दो-दो लोग बिजली की चपेट में आकर मौत के शिकार हो गए। वहीं गाजीपुर, गोंडा, अमेठी, संत कबीर नगर, सिद्धार्थनगर, बलिया, कन्नौज, जौनपुर, उन्नाव और बाराबंकी में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस त्रासदी पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। साथ ही घायलों के समुचित इलाज का निर्देश भी दिया है। मुख्यमंत्री ने संबंधित जिला प्रशासन को तत्काल राहत कार्य शुरू करने और पीड़ित परिवारों की हरसंभव मदद सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
प्राकृतिक आपदा का प्रभाव केवल इंसानों तक ही सीमित नहीं रहा। आकाशीय बिजली गिरने से 45 मवेशियों की भी मौत हो गई। इनमें बड़े और छोटे दुधारू तथा गैर-दुधारू पशु शामिल हैं। सरकार ने पशुपालकों को मुआवजे की घोषणा करते हुए बताया कि बड़े दुधारू पशु की मौत पर 37,500 रुपये, छोटे दुधारू पशु के लिए 4,000 रुपये, बड़े गैर-दुधारू पशु पर 32,000 रुपये और छोटे गैर-दुधारू पशु के लिए 20,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी।
इसके अलावा आंधी-तूफान के कारण प्रदेश भर में 15 मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं। कई इलाकों में पेड़ और बिजली के खंभे गिरने से यातायात प्रभावित हुआ और बिजली आपूर्ति भी बाधित हुई।
इस तरह बेमौसम बारिश और तूफान ने जहां आमजन को गर्मी से कुछ राहत दी, वहीं किसानों और ग्रामीणों के लिए यह किसी प्राकृतिक त्रासदी से कम नहीं रही। सरकार राहत कार्यों में जुटी है, लेकिन पीड़ित परिवारों के लिए यह नुकसान लंबे समय तक नहीं भुलाया जा सकेगा।