भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों से चले आ रहे तनाव की पृष्ठभूमि में एक सवाल हमेशा लोगों के मन में उठता है—अगर दोनों देशों के बीच परमाणु युद्ध छिड़ गया, तो इसका अंजाम क्या होगा? विशेषज्ञों की मानें तो यह न केवल इन दो देशों के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए भी भयावह साबित हो सकता है। इस युद्ध से जो तबाही मचेगी, उसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है।

दोनों देशों के पास करीब 150-160 परमाणु हथियार हैं। अगर इनका इस्तेमाल होता है तो एक-दूसरे के प्रमुख शहर जैसे दिल्ली, मुंबई, कराची और लाहौर पूरी तरह से तबाह हो सकते हैं। एक अनुमान के अनुसार, ऐसे युद्ध में लगभग 10 से 20 करोड़ लोग तत्काल मारे जा सकते हैं। इससे भी अधिक संख्या में लोग रेडिएशन के प्रभाव से धीरे-धीरे मौत के मुंह में चले जाएंगे।
परमाणु विस्फोट से निकलने वाली रेडिएशन और धूल वातावरण में फैलकर सूर्य की रोशनी को ब्लॉक कर सकती है, जिससे ‘परमाणु सर्दी’ (Nuclear Winter) जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। इससे खेती पर बुरा असर पड़ेगा, खाद्य संकट गहराएगा और भूख से करोड़ों लोग मारे जा सकते हैं।
ऐसा युद्ध सिर्फ सीमित नहीं रहेगा; इसके असर से पूरी दुनिया की जलवायु, स्वास्थ्य और आर्थिक व्यवस्था चरमरा जाएगी। WHO की रिपोर्ट के अनुसार, किसी भी देश की स्वास्थ्य व्यवस्था इतनी सक्षम नहीं है कि वह इतने बड़े पैमाने पर घायल और बीमार लोगों की देखभाल कर सके।
इसके अलावा, भारत और पाकिस्तान की आर्थिक व्यवस्था पूरी तरह से खत्म हो सकती है। ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था मिनटों में राख हो जाएगी। स्कूल, अस्पताल, सड़कें, पुल सब मलबे में तब्दील हो जाएंगे।
संयुक्त राष्ट्र और दुनिया के अन्य देश भी इस टकराव को रोकने की कोशिश करेंगे, लेकिन अगर एक बार मिसाइलें चल पड़ीं, तो उन्हें रोकना लगभग असंभव हो जाएगा।
इसलिए ज़रूरत है कि दोनों देश बातचीत और शांति के रास्ते को अपनाएं। कूटनीति, आपसी समझ और परस्पर सम्मान ही एकमात्र रास्ता है जिससे इस संभावित महाविनाश को टाला जा सकता है। युद्ध से कोई भी नहीं जीतता—यह केवल मानवता की हार होती है।