उत्तर प्रदेश में घूमने के लिए बहुत से पर्यटन स्थल है जिसमें से मऊ जनपद एक है मऊ जनपद का इतिहास धार्मिक ग्रंथों में मिलता है ऋषि-मुनियों से जुड़ा हुआ है मऊ जिला
उत्तर प्रदेश के मऊ जिला का इतिहास
मऊ जिला काफी इतिहासिक है यह जिला पूर्वी उत्तर प्रदेश में आता है मऊ जनपद काफी पुराना है मऊ जनपद का महाभारत रामायण काल की संस्कृति एवं पुरातत्व अवशेष इस भूभाग में यंत्र तंत्र मिले हैं लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है इसमें वैज्ञानिकों के द्वारा ज्यादा सर्च नहीं किया गया नहीं तो मऊ जनपद में इतिहास से जुड़े अनेकों साक्ष मिल जाते कुछ लोगों का इस मऊ जनपद के बारे में कहना है या त्रेता युग में महाराजा दशरथ के शासनकाल में इस स्थान पर ऋषि मुनि तपस्या करते थे अवर मऊ जनपद चारों तरफ घने पेड़ पौधे से घिरा हुआ था फलन की मऊ जनपद के नाम को लेकर लोगों में मतभेद देखा जाता है
मऊ जिले का नाम मऊ क्यों पड़ा
मऊ जिले के नामकरण को लेकर अलग-अलग लोग अलग-अलग विचार रखते हैं कुछ लोगों का मानना है कि मऊ में नट जाति के लोग निवास करते थे उन्हीं का यहां पर सत्ता चलता था मऊ पर हुकूमत को लेकर भीषण युद्ध हुआ जिसमें मूल नाथ का भांजा मारा गया कुछ लोगों का कहना है उसी के नाम पर मऊ का नामकरण हुआ है कुछ लोग कहते हैं मयूर शब्द से मऊ का नाम उत्पन्न हुआ है लेकिन इस पर अभी तक नाम के पीछे की सच्चाई नहीं पता चली है|
क्या मऊ जनपद में भी युद्ध हुआ है
मऊ पर सत्ता को लेकर यहां भी युद्ध हुआ है मऊ के इलाक पर नट जाति के लोगों ने शासन किया
मऊ को सन 1801 मैं आजमगढ़ अवर मऊ नाथ भजन ईस्ट इंडिया कंपनी को मिला अवरिया क्षेत्र गोरखपुर जनपद में शामिल कर लिया गया सर 1932 में आजमगढ़ स्वतंत्र जिला बनाया गया जो स्वाधीनता के बाद 1988 तक कायम रायपुर उत्तर जिला आजमगढ़ जनपद में सबसे अधिक राजवंश की प्राप्ति मऊ से होती थी किंतु इसके बाद विकास का प्रयास नही किया गया था
मऊ को जनपद कब बनाया गया
मऊ को आजमगढ़ जनपद से विभाजित कर बनाया गया मऊ को जनपद बनाने के लिए लोगों ने लंबी लड़ाई लड़ी फिर इसको जिला घोषित किया गया 19 नवंबर 1988 मऊ जनपद का जन्म हुआ और मऊ जनपद अस्तित्व में आया उत्तर प्रदेश के नक्शा पर मऊ जनपद अंकित किया गया
मऊ जनपद पर्यटन स्थल
अनूपपुर जिला प्रदेश में स्थित है यह जिला दक्षिण पूर्वी भाग पर स्थित है इस जिले की स्थापना 15 अगस्त शिव मंदिर मऊ जिले का यह प्रसिद्ध शिव मंदिर है इस मंदिर में साल के सभी दिनों पर श्रद्धालु पहुंचकर पूजा पाठ करते हैं इस मंदिर पर सावन के महीने अवर शिवरात्रि पर भक्तों की संख्या बढ़ जाती है इस मंदिर के बारे में कहा जाता है जब भगवान श्री राम विश्वामित्र के साथ ताड़का वध के लिए बक्सर जंगल में जा रहे थे तभी यहां भगवान शिव का आराधना किया अवर शिवलिंग स्थापित किए और इस मंदिर को मनोकामना पूर्ण मंदिर भी कहा जाता है