History of Aligarh: अलीगढ़ का इतिहास: उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर

प्राचीन काल:
अलीगढ़, जिसे 18वीं शताब्दी से पहले “कोल” या “कोइल” के नाम से जाना जाता था, उत्तर प्रदेश का एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध शहर है। “कोल” नाम की उत्पत्ति अस्पष्ट है और इसे विभिन्न संदर्भों में देखा गया है। कुछ प्राचीन ग्रंथों में इसे एक जनजाति, जाति, स्थान, पर्वत, ऋषि या राक्षस का नाम माना गया है। इस क्षेत्र का इतिहास वन्य जीवों, घाटियों और बागों से घिरा हुआ था, जो इसे एक प्राकृतिक सुंदरता प्रदान करता था।

मध्यकाल:
12वीं शताब्दी के दौरान, कोल का इतिहास धुंधला है, लेकिन कुछ विवरण हमें इस समय के सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तनों की झलक देते हैं। एडविन टी. एटकिन्सन के अनुसार, कोल का नाम भगवान बालाराम द्वारा रखा गया था, जिन्होंने एक महान असुर (राक्षस) कोले को मारकर इस क्षेत्र को अहिरों की सहायता से स्थापित किया। एक अन्य कथा में, एटकिन्सन ने उल्लेख किया कि कोल की स्थापना 372 ईस्वी में दोर जनजाति के राजपूतों द्वारा की गई थी। इस कथा का समर्थन शहर के केंद्र में स्थित पुराने डोर किले के खंडहरों से भी मिलता है।

मुस्लिम आक्रमण और प्रशासन:
मुस्लिम आक्रमण से पहले, कोल पर दोर राजपूतों का शासन था। महमूद गजनी के समय, डोर के प्रमुख बरन के हरत्ता थे। यह भी माना जाता है कि कोल एक बार बौद्ध समुदाय का केंद्र था, क्योंकि खुदाई में बौद्ध मूर्तियां और अन्य अवशेष पाए गए हैं। 1194 ईस्वी में, कुतुब-उद-दीन ऐबक ने दिल्ली से कोइल पर कब्जा किया और इसे “हिंद के सबसे महत्वपूर्ण किलों” में से एक माना। कुतुब-उद-दीन ऐबक ने हिसम-उद-दीन उलबक को कोइल का पहला मुस्लिम गवर्नर नियुक्त किया।

इब्न बत्तूता का वर्णन:
1341 ईस्वी में, प्रसिद्ध यात्री इब्न बत्तूता ने कोइल का दौरा किया और इसे “आम के बागों से घिरा एक सुंदर शहर” कहा। इब्न बत्तूता ने उल्लेख किया कि यह जिला तब काफी अशांत स्थिति में था।

मुगल काल:
अकबर के शासनकाल में, कोइल को एक सिरकर (प्रशासनिक इकाई) बनाया गया था और इसमें कई दस्तक (छोटे प्रशासनिक क्षेत्र) शामिल थे। अकबर और जहांगीर दोनों ने कोल के जंगलों का उल्लेख किया है, जहां उन्होंने शिकार किया था। जहांगीर ने कोल के जंगलों का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है, जहां उन्होंने भेड़ियों का शिकार किया था।

लोधी और मुगल शासन:
इब्राहिम लोधी के समय, कोल के गवर्नर उमर के पुत्र मुहम्मद ने यहां एक किला बनवाया और शहर का नाम मुहम्मदगढ़ रखा। बाद में, फारुख सियार और मुहम्मद शाह के शासनकाल में, इस क्षेत्र के गवर्नर सबित खान ने पुराने लोदी किले का पुनर्निर्माण किया और इसे अपने नाम सब्तगढ़ से पुकारा।

जाट और मराठा शासन:
1753 में, जाट शासक सूरजमल ने कोइल के किले पर कब्जा कर लिया। इसके बाद, जब शिया कमांडर नजफ खान ने कोल पर कब्जा किया, तो उन्होंने इसका नाम बदलकर अलीगढ़ रखा। अलीगढ़ का किला, जिसे आज भी देखा जा सकता है, फ्रांसीसी इंजीनियरों द्वारा बेनोइट डी बोइग्ने और पेरॉन के नियंत्रण में बनाया गया था।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना:
1875 में, सर सैयद अहमद खान ने अलीगढ़ में मोहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज की स्थापना की, जो बाद में 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) बन गया। इस विश्वविद्यालय ने भारतीय मुसलमानों की शिक्षा और सांस्कृतिक उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

स्वतंत्रता संग्राम और आधुनिक अलीगढ़:
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अलीगढ़ का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। स्वतंत्रता के बाद, अलीगढ़ उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर बन गया। यह शैक्षणिक, सांस्कृतिक और औद्योगिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। अलीगढ़ का ताला उद्योग विश्व प्रसिद्ध है और यहां के बने ताले अपनी गुणवत्ता और सुरक्षा के लिए जाने जाते हैं।

अलीगढ़ का इतिहास विभिन्न सभ्यताओं, संस्कृतियों और साम्राज्यों का संगम है, जिसने इसे एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल बना दिया है। इस शहर का हर युग में अपना विशेष महत्व रहा है, जो आज भी उसकी पहचान में झलकता है।

Latest articles

Related articles

×

Hello!

Click one of our contacts below to chat on WhatsApp

×