DeepSeek और ChatGPT को टक्कर देने की तैयारी में भारत, सरकार जल्द लॉन्च करेगी देसी AI मॉडल

भारत सरकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रही है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घोषणा की है कि भारत का स्वदेशी AI मॉडल अगले 10 महीनों में तैयार हो जाएगा। यह AI मॉडल ChatGPT और चीन के DeepSeek जैसे विदेशी AI प्लेटफॉर्म्स को टक्कर देगा। सरकार इस तकनीक के विकास के लिए बड़े स्तर पर संसाधनों को जुटा रही है, जिससे देश के स्टार्टअप्स और शोधकर्ताओं को इसका लाभ मिल सके।

भारत के स्वदेशी AI मॉडल की खासियत

भारत सरकार ने AI टेक्नोलॉजी को विकसित करने के लिए इंडिया AI मिशन की शुरुआत की है। इस मिशन के तहत देश में 18,693 हाई-एंड ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट्स (GPUs) उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके मुकाबले चीन के DeepSeek में 2,000 GPUs और ChatGPT में 25,000 GPUs का उपयोग किया गया है। सरकार का लक्ष्य है कि इस स्वदेशी AI मॉडल को भारतीय भाषाओं और सांस्कृतिक संदर्भों के अनुरूप विकसित किया जाए, जिससे यह भारतीय उपयोगकर्ताओं के लिए अधिक उपयोगी साबित हो।

AI के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम

अभी तक भारत में OpenAI के ChatGPT और Google Gemini जैसे विदेशी AI मॉडल्स का ही उपयोग हो रहा था। लेकिन सरकार अब स्वदेशी AI मॉडल के निर्माण पर ध्यान दे रही है, ताकि देश को तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बनाया जा सके। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इस मिशन के पहले चरण में कॉमन कंप्यूट फैसिलिटी तैयार की जा रही है, जिसमें लाखों स्टार्टअप्स और शोधकर्ताओं को ट्रेनिंग और संसाधन दिए जाएंगे।

सरकार की रणनीति और योजनाएं

सरकार इस स्वदेशी AI मॉडल को विकसित करने के लिए कई सरकारी एजेंसियों, निजी कंपनियों और उच्च शिक्षण संस्थानों के साथ मिलकर काम कर रही है। नीति आयोग, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY), IITs और अन्य प्रमुख संस्थानों को इस प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है।

सरकार का कहना है कि यह AI मॉडल भारत के डिजिटल इकोसिस्टम को और मजबूत बनाएगा। इसके जरिए स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, वित्त और सरकारी सेवाओं जैसे क्षेत्रों में AI का व्यापक उपयोग किया जा सकेगा।

कैसे होगा फायदा?

डाटा सुरक्षा: स्वदेशी AI मॉडल भारतीय नागरिकों की संवेदनशील जानकारी को सुरक्षित रखेगा और डेटा लीक की समस्याओं को कम करेगा।

भारतीय भाषाओं का समर्थन: यह मॉडल हिंदी, तमिल, तेलुगू, मराठी, बंगाली और अन्य भारतीय भाषाओं में बेहतर तरीके से काम करेगा।

स्टार्टअप्स को बढ़ावा: नए स्टार्टअप्स को इस तकनीक का लाभ मिलेगा और वे भारतीय बाजार के अनुसार AI सॉल्यूशंस तैयार कर सकेंगे।

तकनीकी आत्मनिर्भरता: भारत विदेशी AI कंपनियों पर निर्भर रहने के बजाय खुद के उन्नत मॉडल तैयार कर सकेगा।

भारत का यह स्वदेशी AI मॉडल आने वाले वर्षों में देश की तकनीकी प्रगति में अहम भूमिका निभाएगा। सरकार की योजना के अनुसार, अगले 10 महीनों में इसका पहला संस्करण लॉन्च किया जाएगा। यह पहल भारत को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर मजबूत बनाएगी और डिजिटल इंडिया के लक्ष्य को और आगे ले जा

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