डॉक्टर को भगवान की उपाधि दिया जाता है क्योंकि डॉक्टर जिंदगी बचाते हैं लेकिन गोरखपुर में एक ऐसी प्राइवेट अस्पताल इस नाम को कलंकित कर दिया है देवरिया के रहने वाले एक व्यक्ति की मृत्यु हो जाने के बाद भी उसका गोरखपुर में प्राइवेट अस्पताल के द्वारा इलाज किया जा रहा था और मोटी रकम लिया जा रहा था क्या है पूरा मामला।
उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ माफियाओं पर कार्रवाई करने के लिए जाने जाते हैं क्योंकि उनका बुलडोजर एकदम तैयार रहता है लेकिन उनके ही शहर गोरखपुर में एक प्राइवेट अस्पताल में मुर्दों का इलाज किया जा रहा था जब स्वास्थ्य विभाग के टीम ने अस्पताल पर छापा मारा तो उनके होश उड़ गए |
कुछ दिन पहले एक फिल्म आया था गब्बर जिसमें से इसी तरह की कहानी दिखाई गई थी |
गब्बर फिल्म में मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर अक्षय कुमार एक प्राइवेट अस्पताल में मरीज को ले जाते है जहां अस्पताल के द्वारा मृतक व्यक्ति का भी इलाज किया जाता है और उसके परिजन से मोटी रकम ली जाती है सेम उसी तरह से गोरखपुर में एक प्राइवेट अस्पताल में यह देखने को मिला देवरिया जनपद के एक व्यक्ति अपने पिता की तबीयत खराब होने के बाद गोरखपुर लेकर पहुंचे जहां प्राइवेट एंबुलेंस चालक ने झासा में लेकर एक प्राइवेट अस्पताल में लेकर पहुंचा अच्छा इलाज के नाम पर परिजन प्राइवेट अस्पताल में लेकर पहुंचे लेकिन मृत्यु होने के बाद भी प्राइवेट अस्पताल वाले ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखकर इलाज कर रहे थे।
Gorakhpur । आरोपी अस्पताल संचालक चिकित्सा प्रबंधक, एंबुलेंस चालक, और अन्य आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर पुलिस लाइन सभागार में पेश किया इस दौरान एसपी ने बताया कि जिला प्रशासन स्वास्थ्य विभाग व पुलिस के ज्वाइंट ऑपरेशन में आठ मेडिकल माफियाओं को अरेस्ट किया गया है यह लोग बीआरडी मेडिकल कॉलेज में आने वाले आसपास के ग्रामीण क्षेत्र और बिहार के परेशान हाल मरीज और तीमादारो को चिकित्सा और मेडिकल स्टाफ बनकर झासा में लेते है फिर प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराकर इलाज करने के नाम पर पैसा लेते हैं।
एसएपी के द्वारा बताया गया कि इसकी जानकारी होने के बाद रामगढ़ताल थाना क्षेत्र के पैदल गंज रुस्तमपुर रोड स्थित एक प्राइवेट अस्पताल पर पुलिस प्रशासन स्वास्थ्य विभाग की टीम ने छापेमारी की इस में आईसीयू में एक मैरिज मिला जिसकी मृत्यु हो चुकी थी वहां पर उस से इलाज के नाम पर मोटी रकम लेने के लिए भर्ती किया गया था। अस्पताल में जांच की गई तो 3 मरीज भर्ती मिले लेकिन अस्पताल में कोई भी चिकित्सक मौजूद नहीं मिले वहां पर मात्र पैरामेडिकल स्टाफ उपस्थित था जिनकी शैक्षिक योग्यता डिप्लोमा इन फार्मेसी है मौजूद स्टाफ के द्वारा बताया गया कि अस्पताल रेनू पत्नी नितिन यादव द्वारा संचालित किया जाता है, अस्पताल की पंजीकरण डॉक्टर रणजय प्रताप सिंह के नाम पर है।
पूछताछ में भर्ती मरीजों के तिमादारों ने बताया कि मरीज पहले बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती करने के लिए पहुचे थे जहां पर आरोपियों ने मेडिकल कॉलेज में मरीजों की उचित व्यवस्था सुविधाओं के नहीं होने की हवाला देकर उन्हें विश्वास में ले लिया और फिर सभी को प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करवा दिया, मृतक व्यक्ति देवरिया जनपद के रहने वाला है जिनका मृत्यु हो जाने के बाद भी प्राइवेट अस्पताल में इलाज किया जा रहा था।
मृतक मरीज के बेटे रामेश्वर ने बताया कि अचानक पिताजी को चक्कर आया और वह गिर गए उन्हें हम लोग सदर अस्पताल ले गए वहां पर एक घंटा इलाज चला और उसके बाद रेफर कर दिया जिस पर उन्हें सरकारी एंबुलेंस से बीआरडी मेडिकल कॉलेज पहुंचे जैसे ही पिता को व्हीलचेयर पर उतरा तो प्राइवेट एंबुलेंस चलाने वाला एक व्यक्ति मिला उसने पर्चा देखा तो बोला कि यहां पर जगह खाली नहीं है आप गोरखनाथ अस्पताल चाहिए फिर हम लोग उसी के प्राइवेट एंबुलेंस में गोरखनाथ गए वहां पर भी एडमिट नहीं किया गया फातिमा अस्पताल लेकर जाने को कहा गया इस पर प्राइवेट एंबुलेंस वाला बोला कि वहां भी डॉक्टर नहीं मिलेगा चलो एक प्राइवेट अस्पताल में लेकर चलते हैं जहां अच्छा इलाज होगा और 24 घंटे डॉक्टर मिलेंगे एंबुलेंस चालक की बात मानकर परिजन प्राइवेट अस्पताल पर लेकर पहुंचे जहां एक बार ₹5000 जमा कराया गया फिर 20000 इसके बाद 50 हजार का बिल बनाए, अचानक स्वास्थ्य विभाग के टीम और पुलिस विभाग के टीम ने छापा मारा तो इसका खुलासा हुआ की मर्दों का भी गोरखपुरमें एक प्राइवेट अस्पताल में इलाज होता है ।