म्यांमार के सगाइंग क्षेत्र में आए भीषण भूकंप ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। विशेष रूप से मंडाले क्षेत्र के तटबंध ऊ (Tada-U) शहर को भारी क्षति पहुंची है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस भूकंप ने शहर के लगभग 80% हिस्से को नष्ट कर दिया है, जिससे 1000 से अधिक लोगों की जान चली गई है और कई लोग अभी भी मलबे में फंसे हुए हैं।

7.7 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप और आफ्टरशॉक्स
28 मार्च को दोपहर बाद म्यांमार के सगाइंग क्षेत्र में 7.7 तीव्रता का भूकंप आया, जिसका केंद्र मंडाले शहर से लगभग 20 मील दूर स्थित था। इस भूकंप के बाद कई आफ्टरशॉक्स महसूस किए गए, जिनकी तीव्रता 5.5 से 6.2 के बीच थी। भूकंप के झटकों ने न केवल सगाइंग और मंडाले क्षेत्र, बल्कि नेप्यीडॉ समेत कई अन्य क्षेत्रों में भी भारी तबाही मचाई।
भूकंप के कारण सैकड़ों इमारतें गिर गईं, जिससे हजारों लोग मलबे में दब गए। बचाव दल अब भी जीवित बचे लोगों की तलाश में जुटे हुए हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, झटके रातभर महसूस किए जाते रहे, जिससे दहशत का माहौल बना रहा।
स्थानीय निवासियों की भयावह स्थिति
तटबंध ऊ शहर के एक निवासी ने बताया कि, “रात 1 बजे तक झटके आते रहे और सुबह 9 बजे एक और झटका महसूस किया गया। शहर का अधिकतर हिस्सा बर्बाद हो चुका है। लोग अपनों को खो चुके हैं और हम अब भी मलबे में दबे लोगों की तलाश कर रहे हैं। कल पूर्णिमा थी, इसलिए मृतकों का अंतिम संस्कार भी जल्दबाजी में करना पड़ा।”
3000 से अधिक इमारतें ढहीं, 400 से अधिक लोग लापता
भूकंप के पहले झटके के 12 मिनट बाद सगाइंग क्षेत्र के दक्षिण में 18 किलोमीटर दूर दो और झटके महसूस किए गए। इन झटकों ने कई महत्वपूर्ण इमारतों को नुकसान पहुंचाया। मंडाले विश्वविद्यालय, महा म्यात्मुनी पगोडा और कई ऐतिहासिक स्मारक क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 3000 से अधिक इमारतें ध्वस्त हो गई हैं और लगभग 400 लोग अब भी लापता हैं। इन लापता लोगों में कई बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं, जिनकी खोज के लिए राहतकर्मी मलबे में खुदाई कर रहे हैं।
सड़कों और पुलों को भारी नुकसान
भूकंप के कारण म्यांमार के बुनियादी ढांचे को भी बड़ा नुकसान हुआ है। कम से कम 7 बड़े पुलों और 5 जलाशयों को नुकसान पहुंचा है। इसके अलावा, 100 से अधिक पगोडाओं और ऐतिहासिक धरोहरों को भी भारी क्षति हुई है। कई प्रमुख सड़कें ध्वस्त हो गई हैं, जिससे राहत और बचाव कार्यों में कठिनाई हो रही है।
बचाव कार्यों में देरी
स्थानीय लोगों के अनुसार, भूकंप के बाद 24 घंटे से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक राहत और बचाव कार्य पूरी तरह शुरू नहीं हो पाए हैं। म्यांमार में सैन्य शासन होने के कारण प्रशासनिक व्यवस्था कमजोर है, जिससे राहत कार्यों में देरी हो रही है।
बिजली, टेलीकॉम और जल आपूर्ति जैसी जरूरी सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। अस्पतालों में घायलों की संख्या बढ़ने से चिकित्सा सेवाओं पर भारी दबाव पड़ा है। डॉक्टर्स और स्वास्थ्यकर्मी दिन-रात घायलों का इलाज कर रहे हैं, लेकिन मेडिकल सुविधाओं की भारी कमी बनी हुई है।
1000 से अधिक मौतों की पुष्टि
म्यांमार सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, अब तक 1000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से 700 से अधिक मौतें मंडाले क्षेत्र में हुई हैं, जबकि सगाइंग, नेप्यीडॉ और अन्य क्षेत्रों में भी कई लोग मारे गए हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह म्यांमार में अब तक का सबसे घातक भूकंप है। राहत कार्य अभी भी जारी हैं और मरने वालों की संख्या और बढ़ सकती है।
अंतरराष्ट्रीय सहायता की जरूरत
म्यांमार में इस आपदा के बाद अंतरराष्ट्रीय सहायता की आवश्यकता है। संयुक्त राष्ट्र और रेड क्रॉस जैसी एजेंसियां इस आपदा पर नजर बनाए हुए हैं और मदद भेजने के लिए तैयार हैं। हालांकि, म्यांमार की सैन्य सरकार पर लगे प्रतिबंधों के कारण बाहरी सहायता आने में देरी हो सकती है।
इस विनाशकारी भूकंप ने हजारों लोगों की जिंदगी बदल दी है। अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि प्रशासन और अंतरराष्ट्रीय संगठन मिलकर राहत कार्यों को कितनी जल्दी आगे बढ़ा सकते हैं।