देवरिया जिलाधिकारी श्रीमती दिव्या मित्तल के निर्देश पर क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डा. विशाल चौधरी ने बताया है कि जनपद देवरिया में 220 प्राइवेट(बीएएमएस) आयुर्वेद चिकित्सकों का पंजीकरण उनके कार्यालय में हुआ है। आयुर्वेदिक विधा में अपनी चिकित्सा कराने की इच्छा रखने वाले लोग इनसे अपना इलाज करा सकते हैं। किसी भी दशा में गैर पंजीकृत डाक्टर से अपना इलाज न करायें, ये जानलेवा हो सकता है। उन्होंने चेताया कि यदि बिना पंजीकरण के कोई आयुर्वेद विधा से प्रेटिक्स करते हुए पाया गया तो उसके खिलाफ सख़्त कार्रवाई की जायेगी। आयुर्वेद विधा के डॉक्टर यथाशीघ्र अपना पंजीकरण करा लें। जनपद में पारंपरिक भारतीय चिकित्सा से बड़ी संख्या में लोग अपना इलाज करा रहे हैं।
क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी ने बताया कि शासन द्वारा निर्गत आदेश के क्रम में उत्तर प्रदेश राज्य के भीतर आयुर्वेद विधा के चिकित्सक अपरिहार्य परिस्थितियों में 25 तरह की एलोपैथिक दवा भी मरीजों को लिख सकते हैं। विस्तृत जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि यदि कोई मरीज गंभीर दशा में आयुर्वेद विधा के चिकित्सक के पास आता है तो वे उसका प्राथमिक उपचार करने के बाद तत्काल रेफर करेंगे ये चिकित्सक किसी भी दशा मेडिकोलीगल (चिकित्सा विधिक प्रकरण), शुद्ध आयुर्वेदिक यथा क्षारसूत्र से भिन्न शल्यकर्म नहीं कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद चिकित्सा में एमएस की डिग्री रखने वाले सर्जन ही 54 तरह की शल्यक्रिया कर सकते हैं।
आयुर्वेदिक डॉक्टर सिर्फ 25 तरह के एलोपैथिक दवाओं के प्रयोग की दे सकते हैं सलाह
क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ विशाल चौधरी ने बताया कि शासनादेश के अनुसार आयुर्वेद विधा के पंजीकृत चिकित्सक मरीजोें की स्वास्थ्यगत स्थिति के अनुसार कुछ एलोपैथिक दवायें लिख सकते हैं, जिनमें विटामिन ए लिक्विड, विटामिन बी काम्पलेक्स, फालिक एसिड टैब, जाइलोकेन लोकल, मेथाइलअर्गोमेट्राइन टेबलेट, कफ निस्सारक(एक्सपेक्टोरेन्ट), मौखिक गर्भनिरोधक गोली, लौहतत्व एवं विटामिन, वमनरोधी(एण्टी इमेटिक), विषाणुनाशक (एण्टीवायरल), एण्टीकोलिनर्जिक- डाइसाइक्लोमिन, मौखिक पुर्नजलीकरण घोल(ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन), ज्वरघ्न एवं वेदनाशामक(एण्टीपाइरेटिक- एनॉलजेसिक), कृमिनाशक मेबेन्डाजोल, एलबेन्डाजोल, मलेरिया नाशक क्लोरोक्वीन क्विनीन, प्राइमाक्वीन, सल्फाडाक्सिन, पाइरीमिथेमाइड, कुष्ठनाशक डेपसोन, रफेम्पसिन, क्लोफेजिमाइन, अमीबानाशक मैट्रोनिडेलोज, टिनिडेजोल, डूलैक्सानाइड फूरोएट, कण्डूनाशक गामा बेनजीन हैक्साक्लोराइड, बेन्जाइल, स्थानिक फफूंदीरोधक (टापिकल एण्टीफंगल), मृदुविरेचक(लेक्जेटिव), श्वासनली विस्फारक (ब्रॉन्कोडाइलेटर) साल्बूटामोल, थियोफाइलिन, अमीनोफाइलिन, जेनशियन वॉयलेट 1 प्रतिशत सॉल्यूशनस, माइकोनेजोल 1 प्रतिशत क्रीम शामिल है। उन्होंने कहा कि उनके कार्यालय में पंजीकृत आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सक यथासंभव अपनी विधा की दवाओं से मरीजों का इलाज करें, किन्तु अपरिहार्य परिस्थितियों में उपर्युक्त 25 तरह के दवाओं का प्रयोग करने की सलाह दे सकते हैं। इन दवाओं के अतिरिक्त किसी भी अन्य गंभीर बीमारियों से जुड़ी दवाओं की सलाह देने पर दंडात्मक कार्रवाई की जायेगी।