देवरिया जिले के लोगों का आधुनिक बस स्टेशन का सपना अभी भी अधूरा है। जनप्रतिनिधियों द्वारा दावा किया गया था कि देवरिया का बस स्टेशन एक मॉडल बस अड्डा बनेगा, लेकिन यह वादा अभी तक कागजों तक ही सीमित है। स्थिति यह है कि बस कर्मचारियों और यात्रियों को बुनियादी सुविधाओं के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है।

बिना सुविधाओं के बस अड्डा, परेशान यात्री और कर्मचारी
हिंदुस्तान में 7 मार्च को प्रकाशित खबर के अनुसार, देवरिया बस अड्डे पर न तो बस संचालकों के लिए आराम करने की कोई उचित जगह है और न ही शुद्ध पेयजल की सुविधा। बस चालक और अन्य कर्मचारी लगातार लंबी यात्राएं करने के बाद भी किसी प्रकार की मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। हालात यह हैं कि उन्हें शौचालय जाने के लिए भी पैसे देने पड़ते हैं, क्योंकि डिपो पर कोई मुफ्त सुविधा उपलब्ध नहीं है। ऐसे में बस कर्मचारी मजबूरी में सार्वजनिक शौचालय का उपयोग करते हैं, जिससे उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
यात्रियों को भी हो रही भारी परेशानी
देवरिया जिले से प्रतिदिन 10,000 से अधिक लोग बस से यात्रा करते हैं, जिससे परिवहन विभाग को लगभग 25 लाख रुपये की आय होती है। इसके बावजूद, यहां के बस स्टेशन पर यात्रियों के लिए बैठने तक की उचित व्यवस्था नहीं है। धूप हो या बारिश, लोगों को खुले आसमान के नीचे ही खड़ा रहना पड़ता है। न कोई प्रतीक्षालय है और न ही ठहरने के लिए कोई छायादार स्थान।
नया बस स्टेशन न बनने से बढ़ी परेशानी
देवरिया में नया बस स्टेशन बनने की योजना काफी समय से लंबित है। यदि यह बन जाता तो न केवल यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मिलतीं, बल्कि बस कर्मचारियों को भी राहत मिलती। लेकिन प्रशासन की उदासीनता और जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता के कारण स्थिति जस की तस बनी हुई है।
जनता और कर्मचारियों की मांग
यात्रियों और बस कर्मचारियों की मांग है कि जल्द से जल्द बस अड्डे पर बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। पेयजल, शौचालय और विश्राम स्थल जैसी सुविधाएं प्राथमिकता के आधार पर दी जानी चाहिए। यदि देवरिया बस स्टेशन को मॉडल बस अड्डा बनाने की घोषणा की गई थी, तो उसे जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिए।
सरकार और प्रशासन को इस गंभीर समस्या पर ध्यान देकर आवश्यक कदम उठाने चाहिए, ताकि बस अड्डे पर यात्रियों और कर्मचारियों को हो रही परेशानियों का समाधान हो सके।