उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के बैतालपुर नगर पंचायत से एक ऐसी होनहार बेटी ने इतिहास रच दिया है, जिसने न केवल अपने माता-पिता का बल्कि पूरे जनपद का नाम रोशन कर दिया है। बात हो रही है अन्नू गुप्ता की, जिन्होंने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की कठिन परीक्षा में 779वीं रैंक हासिल कर क्षेत्र में गर्व की लहर दौड़ा दी है। खास बात ये है कि अन्नू ने यह सफलता पहले ही प्रयास में बिना किसी कोचिंग के हासिल की है, जो आज के प्रतिस्पर्धी माहौल में एक मिसाल है।

बैतालपुर चीनी मिल गेट के सामने रहने वाले दुर्गेश गुप्ता और इंद्रावती देवी की सबसे बड़ी बेटी अन्नू ने जब UPSC का रिजल्ट देखा तो पूरे परिवार की आंखों में आंसू आ गए — लेकिन ये आंसू थे गर्व और खुशी के। अन्नू के पिता आटा चक्की की छोटी सी दुकान चलाते हैं और मां की एक कॉस्मेटिक शॉप है। ऐसे साधारण और मेहनतकश परिवार से निकली बेटी ने यह सिद्ध कर दिया कि सपनों को उड़ान देने के लिए संसाधनों की नहीं, संकल्प और मेहनत की ज़रूरत होती है।
अन्नू की प्रारंभिक शिक्षा DSS देवरिया से हुई है और बचपन से ही वह पढ़ाई को लेकर बेहद गंभीर रहीं। चार बहनों में सबसे बड़ी होने के नाते अन्नू पर पारिवारिक जिम्मेदारियां भी थीं, लेकिन उन्होंने अपने लक्ष्य से कभी ध्यान नहीं हटाया। पढ़ाई के साथ-साथ घरेलू जिम्मेदारियों को भी उन्होंने बखूबी निभाया और इसी संतुलन ने उन्हें आज इस मुकाम तक पहुंचाया।
बेटी की इस ऐतिहासिक सफलता की खबर फैलते ही पूरे बैतालपुर में बधाइयों का तांता लग गया। स्थानीय लोग, जनप्रतिनिधि, शिक्षक और समाजसेवी सभी अन्नू के घर पहुंचकर उनका हौसला बढ़ा रहे हैं। इलाके के लोगों का कहना है कि अन्नू गुप्ता अब गांव-गांव की बेटियों के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं।
देशभर में जब बेटियों को लेकर तमाम सामाजिक सवाल उठते हैं, उस समय अन्नू जैसे उदाहरण यह साबित करते हैं कि बेटियां किसी भी मामले में बेटों से कम नहीं हैं। आज बेटियां देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षाएं पास कर रही हैं, सेना में भर्ती हो रही हैं, स्पेस रिसर्च में काम कर रही हैं और प्रशासनिक सेवाओं में अपनी प्रतिभा का परचम लहरा रही हैं।
अन्नू की सफलता यह भी दर्शाती है कि यदि संकल्प मजबूत हो, तो संसाधनों की कमी भी रास्ते का रोड़ा नहीं बन सकती। उनके जैसे उदाहरण देश के हर कोने में मौजूद प्रतिभाओं को यह यकीन दिलाते हैं कि अगर हौसला हो तो कोई भी मंजिल दूर नहीं