उत्तर प्रदेश में इन दिनों खरीफ की फसल, खासकर धान की बुआई का समय चल रहा है। इस सीजन में किसानों को खाद और उर्वरकों की सख्त जरूरत होती है। ऐसे में खाद की मांग बढ़ गई है और इसी का फायदा उठाते हुए कुछ दुकानदार जमाखोरी और कालाबाजारी पर उतर आए हैं। किसानों से मनमाने दाम वसूलने की शिकायतें लगातार आ रही हैं। हैरानी की बात तब सामने आई जब खुद प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही को भी इन कालाबाजारी करने वालों ने ठग लिया।

दरअसल, कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने जिला कृषि अधिकारी के साथ लखनऊ के बक्शी का तालाब क्षेत्र स्थित “मैसर्स किसान खाद भंडार” के गोदाम पर छापा मारा। यहां जब मंत्री ने यूरिया खाद का रेट पूछा तो दुकानदार ने ₹266.50 वाली बोरी की कीमत अधिक बताई, जिससे मंत्री और अधिकारी हैरान रह गए। तुरंत ही मंत्री ने संबंधित दुकान का लाइसेंस निलंबित करने के निर्देश दिए।
यह कार्रवाई उस वक्त और जरूरी हो गई जब कुशीनगर के एक किसान ने मंत्री को फोन कर शिकायत दी कि उसे 6 बोरी यूरिया ₹2400 में दी गई, यानी एक बोरी की कीमत ₹400 वसूली गई। बलरामपुर जिले से भी ऐसी ही शिकायत सामने आई, जहां किसानों से ₹300 प्रति बोरी के हिसाब से वसूली हुई। इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए मंत्री ने जांच के आदेश दिए और दोषी पाए गए दुकानों पर सख्त कार्रवाई की।
कृषि मंत्री ने साफ शब्दों में कहा है कि जो कंपनियां डीलरों से तय मूल्य से अधिक वसूलती हैं या किसानों को जबरन उत्पाद टैग करके बेचने को मजबूर करती हैं, उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार किसानों को उचित दर पर खाद उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन कुछ लालची व्यापारी सरकार की मंशा को पलीता लगा रहे हैं।
निरीक्षण के दौरान खाद भंडार संचालक ने बताया कि इंडोरामा कंपनी के यूरिया बैग उन्हें “मैसर्स ओम प्रकाश जयप्रकाश, बहरौली, गोशाईगंज, लखनऊ” से ₹275 प्रति बोरी दर पर मिले थे, जबकि निर्धारित मूल्य ₹266.50 है। यह सीधा उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 और आवश्यक वस्तु अधिनियम का उल्लंघन है।
मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने इस संबंध में स्वयं कुछ किसानों से फोन पर बात कर पुष्टि की कि उन्हें भी यूरिया महंगे दामों पर बेचा गया है। इस पूरे प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए “मैसर्स ओम प्रकाश जयप्रकाश” का थोक उर्वरक लाइसेंस भी तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। साथ ही फर्म के प्रोपराइटर को दो कार्य दिवस के भीतर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया गया है।
यदि समय पर जवाब नहीं दिया गया तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी और इसकी पूरी जिम्मेदारी फर्म की होगी। निलंबन की अवधि में उक्त फर्म किसी भी प्रकार का उर्वरक व्यवसाय नहीं कर सकेगी।
इस पूरे मामले से साफ है कि प्रदेश सरकार किसानों को राहत देने और कालाबाजारी पर लगाम लगाने के लिए गंभीर है। कृषि मंत्री का यह औचक निरीक्षण एक सख्त संदेश है कि अगर किसानों के साथ धोखा हुआ, तो कोई भी बच नहीं पाएगा।