गोरखपुर, उत्तर प्रदेश। चौरीचौरा थाना क्षेत्र के बिलारी गांव में हुई बुजुर्ग राजेंद्र यादव की हत्या की गुत्थी आखिरकार पुलिस ने सुलझा ली है। इस चौंकाने वाले खुलासे में पता चला कि खुद मृतक का मंझला बेटा धर्मेंद्र यादव ही इस हत्याकांड का असली दोषी है। हैरानी की बात यह है कि शुरुआत में इस मामले में 14 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिन्हें अब पुलिस ने निर्दोष पाया है।

यह हत्या 15 जून की रात उस समय हुई थी जब राजेंद्र यादव अपने घर पर सो रहे थे। अगली सुबह उनका शव खून से लथपथ हालत में मिला, जिसके बाद गांव में सनसनी फैल गई थी। मृतक के बेटे धर्मेंद्र यादव ने खुद ही 14 लोगों के खिलाफ तहरीर दी थी और दावा किया था कि उसके पिता की हत्या दबंगों ने की है।
जांच में आया चौंकाने वाला मोड़
गोरखपुर पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) राजकरण नैयर के निर्देश पर जब इस मामले की गहराई से जांच शुरू हुई, तो पुलिस को कई असमानताएं नजर आईं। सीन रीक्रिएशन, इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस और कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) की मदद से पुलिस को शक हुआ कि पूरा मामला कुछ और ही है।
जब पुलिस ने धर्मेंद्र और उसके छोटे भाई से अलग-अलग पूछताछ की, तो कई तथ्य सामने आए जो कहानी को उल्टा साबित कर रहे थे। आखिरकार कड़ी पूछताछ में धर्मेंद्र ने अपना जुर्म कबूल कर लिया।
पिता के तानों से था परेशान
धर्मेंद्र ने पुलिस को बताया कि वह बेरोजगार है और अक्सर उसके पिता उसे इस बात के लिए ताने दिया करते थे। साथ ही उसकी पत्नी की तबीयत भी खराब रहती थी जिससे वह मानसिक रूप से काफी तनाव में था। घटना वाली रात गुस्से में आकर उसने अपने पिता पर कुल्हाड़ी से ताबड़तोड़ वार कर दिए, जिससे उनकी मौत हो गई।
हत्या के बाद धर्मेंद्र ने सबूतों को छिपाने और खुद को निर्दोष साबित करने के लिए 14 लोगों पर झूठा मुकदमा लिखवा दिया। उसने पुलिस को गुमराह करने की पूरी कोशिश की, लेकिन विज्ञान और तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर उसकी चाल पकड़ में आ गई।
14 निर्दोषों की इज्जत बचाई
एसएसपी राजकरण नैयर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि वैज्ञानिक जांच और साक्ष्य आधारित कार्रवाई से हमने 14 निर्दोष लोगों को फंसने से बचा लिया। यह पुलिस की निष्पक्ष जांच का परिणाम है कि असली दोषी को पकड़ लिया गया और निर्दोषों को न्याय मिला।
अब क्या आगे?
पुलिस ने धर्मेंद्र को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। उसके खिलाफ हत्या और झूठा मुकदमा दर्ज कराने की धाराओं में केस दर्ज किया गया है। इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि घरेलू कलह और मानसिक तनाव किस हद तक इंसान को अपराध की ओर धकेल सकता है।