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पीपल के पेड़ में क्यों बांधे जाते हैं धागे? जानिए धार्मिक, ज्योतिषीय और वैज्ञानिक कारण

भारतीय संस्कृति में वृक्षों को विशेष महत्व दिया गया है, और उनमें से पीपल को पवित्र माना जाता है। सदियों से लोग पीपल के पेड़ की पूजा करते आ रहे हैं और उसमें धागे बांधने की परंपरा निभा रहे हैं। यह परंपरा केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि ज्योतिषीय और वैज्ञानिक कारणों से भी महत्वपूर्ण मानी जाती है। आइए जानते हैं कि आखिर क्यों पीपल के पेड़ में धागे बांधे जाते हैं और इससे क्या लाभ होते हैं।

धार्मिक कारण

हिंदू धर्म में पीपल के पेड़ को देवताओं का निवास स्थान माना गया है। मान्यता है कि इसमें भगवान विष्णु, शिव और ब्रह्मा का वास होता है। खासतौर पर शनिवार को पीपल की पूजा करने और उसमें धागा बांधने से शनि देव प्रसन्न होते हैं और जीवन की परेशानियां दूर होती हैं।

सोमवारी अमावस्या पर विशेष पूजा

सोमवारी अमावस्या के दिन महिलाओं द्वारा सूर्योदय से पहले पीपल के पेड़ की पूजा करने और उसमें धागा लपेटने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सच्ची श्रद्धा से पीपल की पूजा करने से शनि देव का प्रकोप समाप्त होता है, घर में सुख-शांति आती है और संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं और पीपल की जड़ में जल अर्पित कर धूप-दीप जलाकर पूजा करती हैं।

ज्योतिषीय कारण

पीपल के पेड़ का संबंध शनि ग्रह से माना जाता है। जिन लोगों की कुंडली में शनि की साढ़े साती या ढैय्या चल रही होती है, वे पीपल की पूजा करके उसमें काला धागा, मौली या सूत का धागा बांधते हैं। इससे शनि देव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन की बाधाएं दूर होती हैं।

वैज्ञानिक कारण

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पीपल का पेड़ विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह 24 घंटे ऑक्सीजन छोड़ता है, जिससे वातावरण शुद्ध रहता है। जब लोग इसकी परिक्रमा करते हैं और धागा बांधते हैं, तो इसका सकारात्मक प्रभाव मन और शरीर दोनों पर पड़ता है। पीपल के पेड़ की छाल, पत्ते और जड़ औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं, जो कई बीमारियों के उपचार में मददगार साबित होते हैं।

कैसे करें पीपल की पूजा और धागा बांधने की विधि

  • शनिवार और सोमवारी अमावस्या को पीपल की पूजा करना शुभ माना जाता है।
  • महिलाएं सूर्योदय से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर पीपल के पेड़ के पास जाती हैं।
  • वे पीपल की जड़ में जल अर्पित करती हैं और दीपक जलाकर धूप-दीप से पूजन करती हैं।
  • फिर पीले, लाल या काले धागे को पेड़ के चारों ओर लपेटती हैं और अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करती हैं।
  • ऐसा करने से घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और संतान सुख की प्राप्ति होती है।

पीपल के पेड़ में धागा बांधना केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह आस्था, ज्योतिष और वैज्ञानिक कारणों से भी जुड़ा हुआ है। खासकर सोमवारी अमावस्या पर महिलाएं विशेष रूप से पीपल की पूजा करके अपने परिवार की खुशहाली और संतान प्राप्ति की कामना करती हैं। यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है और इसके पीछे गहरी आध्यात्मिक मान्यताएं और वैज्ञानिक लाभ छिपे हैं।

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